बड़ा कौन ?

अक्सर हम सोचा करते हैं की बड़ा कौन ? जब कभी हम किसी से बातें करते हैं तो सोचते हैं की हम बड़ें हैं तो हम बड़ें हैं और हम इसी बात पे अड़े रहतें हैं और हर संभव प्रयास करते हैं अपने को बड़े साबित करने का क्या यही बड़े होने की निशानी है ? जो लोग बड़े-बड़े घरों में रहतें है या जो लोग विद्वान हैं, हमेशा पूजा पाठ करते रहतें हैं और दूसरों को उपदेश देते हैं क्या वे बड़ें हैं ? नहीं बिलकुल नहीं, 

एक बार जब मैं दिल्ली में रहता था मैं किसी काम से एक हॉस्पिटल में गया मैंने देखा की एक परिवार हॉस्पिटल के गलियारे में एक बोरे पे बैठा हुआ है वे लोग दुखी दिखाई पर रहे थे, वे चार लोग थे तभी एक बूढ़ा व्यक्ति उनकी ओर आया और उनसे कुछ खाने को माँगा। वे चारो स्वयं तो फ़टे पुराने कपड़े पहने बदहाल नज़र आ रहे थे, फटेहाल  गरीबी से पीड़ित दिखाई दे रहे थे साथ ही बीमारी से जूझ रहे थें, फिर भी उन्होंने उस बूढ़े व्यक्ति को अपने पास बैठाया अपने झोले से चार रोटी और सब्जी निकल कर दिए और बोले लीजिये बाबा यहाँ बैठकर भोजन कीजिये, तभी वो बूढ़ा व्यक्ति बोला भगवान् तुम्हे सुखी रखें और खाना शुरू किया, तभी उसमें से एक व्यक्ति उठकर कही गया और  गिलास में पानी लाया और उन्हें पानी पिने को दिया। मैंने ये सारी घटनाएं देखी तभी मुझे समझ में आया की बड़ा कौन होता है। 

मानव कोई बड़ा या छोटा नहीं होता बड़ा या छोटा उसकी मानवता होती है, इसीलिए आपलोगों से गुजारिश है दूसरों की सेवा करें, दूसरों की मदद करे और जहाँ तक हो सके अच्छे कर्म करें बुराई न करें। 

By Amit Kumar Soni

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