नही होता अब भरोसा !

नही होता अब भरोसा किसी पे इस दुनिया से हमारा ताल्लुकात ही कुछ ऐसा रहा ।
मरते गए किसी पे हम बीना सोचें समझे और वह पिछे मेरे शजिशे करता रहा ॥

अमित सोनी

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