मुझे यूँ ना बदनाम करो।


 


जो तकलीफ़ में मुस्कुराये और हँसकर ग़म छुपाये।


 


खुशी की आत्मकथा !!

मैं खुशी हूँ मैं आपमें हूँ मैं आपकी ही एक स्तिथि हूँ लोग मुझे कई नामों से जानते हैं।  कुछ लोग मुझे हसीं कहते हैं, तो कुछ लोग मुझे मुस्कान कहते हैं। कुछ मुझे आनंद के नाम से जानते हैं, तो कुछ मुझे सुख के नाम से। मेरी अभिव्यक्ति अमित है। मैं भेद-भाव से पड़े हूँ, मैं अगर हूँ तो आप हैं मैं अगर नहीं तो आप होकर भी नहीं है स्पष्टत: आपका स्तीत्वा मुझसे से है फिर भी आप मुझे ढूंढते रहते हैं, अरे मैं तो आपके अंदर ही हूँ तो मैं मैं बाहर ढूंढने से कैसे मिल सकती हूँ ? सभी मुझे चाहतें है, मुझे पाने की कोशिश करते रहतें हैं फिर भी सभी मुझे नहीं पाते यधपि मैं सभी के अंदर हूँ तथापि लोग मुझे बाहर खोजतें हैं। लोग मुझे समय में ढूंढते हैं, लोग मुझे दूसरों में ढूंढतें हैं, लोग मुझे इस प्रकृति में ढ़ूंढतें हैं, मैं तो सभी जगह हूँ, बस तुम्हे दिखाई नहीं देती हूँ क्यूंकि तुम मुझे देखना नहीं चाहते। कभी कभी मुझे लगता है मैं बहुत बदनसीब हूँ एक ऐसी बदनसीब जिसको सारे प्यार तो करते है पर कोई अपनाना नहीं चाहतें, परन्तु मैं तो हमेशा आपके बारे में सोचती हूँ, मैं चाहती हूँ हमेशा आपमें रहूं परन्तु आप कभी कभी मुझे अपने दिल से निकाल देते हैं, जबकि मैं आपके दिल की ही जीवन हूँ। मेरे होने से आपको शांति मिलती है और नहीं होने से अशांति। ना तो मेरी कोई कीमत है ना हीं मैं बाज़ारों में बिकती हूँ। मैं हमेशा लोगों के भाव में निवास करती हूँ। मैं आपकी सच्ची दोस्त हूँ। मैं सब में ही निवास करती हूँ। मैं बच्चों में हूँ, मैं फूलों में हूँ, मैं नदियों में हूँ, मैं झीलों में हूँ, मैं जानती हूँ मेरी जरूरत सब को हैं और मैं सब में हूँ। फिर भी मुझे दुःख होता है जब लोग मुझे खरीदने की बात करते हैं। मैं बिकाऊ नहीं हूँ ना ही मैं टिकाऊ हूँ। मैं आपमें ही रहती हूँ। जब कभी लोगों का मन करता है मुझे पास बुलातें हैं फिर रो कर मुझे विदा कर देतें हैं। 

मुझे दोस्ती है आँशुओ से जब भी लोग खुश हो जाते आँशु बनकर मैं दिख जाती हूँ, जब भी लोग दुःखी हो जाते आँशु बनकर मैं मिट जाती हूँ। 

अमित विनती :

जो तकलीफ़ में मुस्कुराये और हँसकर ग़म छुपाये। उम्मीद हो जिसके दिल में एक वही मुझे पाये। 

By Amit Kumar Soni

AKS, Amitosophy, aksoniweb, AKSoni


सब जानते है मैं ज़माने में बदनाम हूँ ।


 


The sick environments you cannot heal in

 



When you alone in your life..



If your pain is deep...


 


जीवन की दशा

जब भी मैं सोचता हुँ की ये जीवन क्या है? मैं सोच में पर जाता हूँ कई सवाल मुहँ उठाये मेरे सामने खड़े हो जाते है और फिर वे सारे सवाल अपन अंदर कई सवालों को लिए एक विकृत रूप धारण कर लेते है और फिर मेरे दिमाग को शून्य कर जाते है, शून्य जहाँ से इस सृष्टि की शुरुआत होती है फिर ये सृष्टि सृजन करती है और जन्म मृत्यु का कारण बनती है।

जीवन सृष्टि द्वारा रचित उन अनमोल मोतियों में से एक है जो जितनी ठोकरें खाती है उतना ही शौर्य प्राप्त करती है, और शौर्य जीवन की चमक आभा को उस शीर्ष पे ले जाती है जहां से प्रकाश दीप्तिमान होता है।
आज हमने अपने जीवन की दशा को एक दुर्दशा मे परिवर्तित कर दिया है एक ऐसी दुर्दशा जो अपना अस्तित्व ही खोता जा रहा है, भूल गए है हम जन्म क्यूँ लिए है , भूल गए है हम कौन है, भूल गए है हम क्या कर सकते है, हम सबकुछ भूल गए, पता है तो क्या बस इतना की इंसान जन्म लेता है बड़ा होता है और फिर इस सृष्टि मे विलीन हो जाता है बस यही ? नहीं बिल्कुल नहीं!
आत्मा इंसान में परमात्मा के होने का साक्ष्य है जिसे हम युँ ही विनील नहीं होने दे सकते, हमें समझना होगा, हमें अपने आप को समझाना होगा, हमें अपनी शक्तियों को समझना होगा। इंसानी शक्ति अपरम्पार है, इसकी ऊर्जा विशाल है इसका सही इस्तेमाल करना होगा ।
इंसान का जन्म सिर्फ मरने के लिए नहीं होता है, इंसान का जन्म धरती की उस हिस्से को पूरा करने के लिए होता है जो हिस्सा उसके बिना अधूरा है लेकिन मनुष्य भटकता रहता है उस हिस्से की खोज मे, जो कहीं लुप्त है।
जो इंसान अपने सभी कर्मों के यथावत पूरा करते हुए चला जाता है वही धरती के उससे हिस्से तक पहुंचता है और जो इंसान सिर्फ सोचने मे अपना समय व्यर्थ गंवाता है वह जीवन मरण के इस चक्र मे पिसता रहता है उसे कहीं शांति नहीं मिलती अंततः वह विलुप्त हो जाता है।
लोग आज जीवन का वास्तविक अस्तित्व खो रहे है लोगों ने अपने जीवन को सीमित कर लिया है। आज हमारी जीवन की दशा इतनी बुरी हो चुकी है कि हम सच-झूठ, पाप-पुण्य, कर्म-दुष्कर्म, इन सभी मे भेद करना भूल गए है। और भेद करना आता भी है तो किसमें - इंसानों में हम भेद करते है, हमेशा जात-पात के नाम पर लड़ते रहते है। क्या इसी का नाम जीवन है?
मेरे समझ से तो नहीं !!!
आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी अगर अच्छी लगी तो शेयर जरूर करें धन्यवाद 🙏🙏🙏 
By Amit Kumar Soni
#LIFE #AKS 

तेरी जुदाई का ग़म।

तेरी जुदाई के गम मे जिया नही जाता,

इन आसुओँ के सागर को पिया नही जाता,

तडपता रहता हुँ याद मे तेरी,

अब इस तडपन का भी दर्द मुझसे सहा नही जाता 

तेरी जुदाई के गम मे जिया नही जाता।


रुलाते कयो हो बार बार पयार का इमतहान लेकर,

जित लिया है मैने दिल तुमहारा अपनी जान देकर, 

हर किसी को ये दिल दिया नही जाता,

तेरी जुदाई के गम मे जिया नही जाता।


तेरी याद मे पल पल कया हर पल मरता हुँ,

कयोकि मैँ पयार तुमसे करता हुँ,

तभी तो तुमहे भी कोई दुखःदर्द दिया नही जाता,

तेरी जुदाई के गम मे जिया नही जाता।

#KK, #AKS